Tuesday 3 February 2015

नाहार, निराहार और नाश्ता

फारसी भाषा में एक शब्द है नहार जिसका अर्थ है दिन या दिवस। इसे ध्यान में रखते हुए दिन के पहले खाने को नहारी कहते हैं, जो आजकल बिगड़कर निहारी हो गया है। पुराने जमाने में जिस शोरबेदार गोश्त को खमीरी या रात की बची हुई रोटी के साथ खाया जाता था उसे नहारी कहते थे। यही वजह है कि आज भी शोरबे वाले गोश्त को नहारी या निहारी कहते हैं। फारसी भाषा में नाहार शब्द का अर्थ है सुबह से भूखा। जिसे राजस्थानी और पंजाबी में निरनैकाळजै कहते हैं। फारसी में यह शब्द संस्कृत के शब्द निर-आहार से गया है, जो समय के साथ निर-आहार, निराहार से वहां नाहार हो गया।
सुबह के इस पहले हल्के-फुल्के भोजन को नाश्ता भी कहा जाता है। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि उर्दू के सबसे प्रतिष्ठित शब्दकोश फर्रहंग-ए-अस्फिया के अनुसार नाश्ता सुबह के पहले भोजन को नहीं सुबह खाली पेट होने की स्थिति को कहते हैं। जैसे कहा जाता है कि मुझे थोड़ी भूख महसूस हो रही है, वैसे कहा जाता कि मुझे कुछ नाश्ता सा महसूस हो रहा है। अंग्रेजी में इसे ब्रेकफास्ट कहा जाता है जो दो शब्दों से बना है ब्रेक और फास्ट। अंग्रेजी में दो ब्रेक हैं, पहला है Brake जिसका अर्थ है- रोक या रोधक। यह ब्रेक वाहनों में लगा होता है। दूसरा है Break जिसका अर्थ है विराम या तोडऩा। इसका प्रयोग टीवी कार्यक्रमों में अंतराल के लिए आजकल बहुत प्रचलन में हैं। दूसरे अर्थ में है रिकॉड ब्रेक करना या तोडऩा। ब्रेक-फास्ट में भी यही ब्रेक इस्तेमाल होता है। अंग्रेजी में फास्ट (Fast) के भी दो अर्थ हैं, उपवास और द्रुत या तेज। ब्रेकफास्ट कुल अर्थ यह हुआ कि उपवास तोडऩा। रात्रि-भोजन के बाद सुबह के पहले भोजन के बीच एक लम्बा अंतराल आ जाता है, इसलिए उसे उपवास ही मान लिया जाता है और सुबह के पहले भोजन से वह उपवास तोड़ा जाता है इसलिए उसे ब्रेक-फास्ट कहते हैं।
हिन्दी में नाश्ते के लिए तीन-चार पर्याय हैं- जलपान, अल्पाहार, कलेवा और चायपानी। यह चारों ही शब्द सुबह के पहले भोजन का अर्थ नहीं देते। पहला शब्द लेते हैं जलपान। जल का अर्थ है पानी और यहां पान का अर्थ है पीना। जैसे धूम्रपान बीड़ी-सिगरेट पीना या मद्यपान- शराब पीना। इस अर्थ में पानी पी लिया तो नाश्ता हो गया। जलपान अतिथि को दिन में कभी भी करवाया जा सकता है। दूसरा शब्द है अल्पाहार। अल्प मतलब थोड़ा और आहार मतलब भोजन और दोनों का सामुहिक अर्थ है थोड़ा सा भोजन करना। यह भी दिन में किसी भी समय किया जा सकता है, कुछ लोग होते ही अल्पाहारी हैं। तीसरा शब्द है कलेवा। राजस्थानी में भी नाश्ते को कलेवा ही कहते हैं। इसका अर्थ भी थोड़ा सा कुछ खाना है, जो किसी भी समय खाया जा सकता न कि सुबह का पहला भोजन। चौथा शब्द है- चायपानी। हम अकसर थोड़ी सी भूख लगने पर या मेहमान के आने पर थोड़ा सा चाय-पानी कर लेते हैं। इस चाय और पानी में कुछ हल्के-भारी खाने के साथ चाय हो यह जरूरी नहीं है, यहां दूध, कोल्डड्रिंक, शरबत आदि कुछ भी हो सकता है। वैसे हम भारतीयों के बारे मशहूर है-एवरी टाइम इज टी टाइम।
अंग्रेजी में नाश्ते के लिए भारत में एक और शब्द प्रचलन में हैं-ब्रन्च। यह शब्द ब्रेकफास्ट और लन्च से मिलकर बना है। दरअसल ब्रन्च देरी से किया गया ब्रेकफास्ट या जल्दी किया गया लन्च है, न कि नाश्ता। आप शाम को चार-पांच बजे रखे गए ऐसे बहुत से कार्यक्रमों में आमन्त्रित रहे होंगे जहां आपको कार्यक्रम के बाद ब्रन्च का भी निवेदन किया गया होगा। परिभाषा के हिसाब से शाम का यह नाश्ता ब्रन्च की श्रेणी में नहीं आता। इस नीयम के आधार पर आपके लिए एक पहेली है। देर से किया गए दोपहर के भोजन (लन्च)और जल्दी किए गए रात्रि भोजन (डिनर) से मिलकर नया शब्द क्या बनेगा? जवाब मन ही मन में बोलें। प्रसंगवश यह भी कि सुबह का नाश्ता राजा की तरह, दोपहर का भोजन राजकुमार की तरह और रात का खाना भिखारी की तरह करना चाहिए। यानी सुबह का पहला भोजन रात के दस-बारह घन्टे बाद होता है इसलिए भरपेट एक राजा की तरह करना चाहिए, दोपहर का भोजन राजकुमार की तरह हल्का और चुन-चुनकर खाना चाहिए। रात का भोजन भिखारी तरह रूखा-सूखा और थोड़ा सा करना चाहिए।

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